MCA:व्हाट्सएप पर डीपफेक पहचानें में करें MCA के इस भरोसेमंद टूल का इस्तेमाल!

आज के समय में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का गलत इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है. इन्हीं गलत इस्तेमालों में से एक है डीपफेक. डीपफेक वीडियो और तस्वीरें असली दिखती हैं, लेकिन ये पूरी तरह से फर्जी होती हैं. इनका इस्तेमाल अफवाहें फैलाने और लोगों को गुमराह करने के लिए किया जाता है.

इस समस्या से निपटने के लिए मार्च 25, 2024 को Misinformation Combat Alliance (MCA) ने Deepfake Analysis Unit (DAU) की शुरुआत की. DAU ने डीपफेक पहचानने में मदद के लिए व्हाट्सएप पर एक खास टूल लॉन्च किया है. ये टूल अभी तक हिंदी, अंग्रेजी, तमिल और तेलुगू भाषाओं को सपोर्ट करता है.

आइए अब विस्तार से जानते हैं कि आप इस टूल का इस्तेमाल कैसे कर सकते हैं.

कैसे करें MCA के व्हाट्सएप टूल का इस्तेमाल?

MCA के इस टूल का इस्तेमाल करना बहुत ही आसान है. इसके लिए बस इन स्टेप्स को फॉलो करें:

  1. सबसे पहले अपने मोबाइल फोन की कॉन्टेक्ट लिस्ट में MCA के डीपफेक विश्लेषण यूनिट का नंबर +91-9999025044 सेव कर लें.
  2. अब आपके पास जिस वीडियो या फोटो के बारे में शक है कि वो डीपफेक हो सकता है, उसे व्हाट्सएप चैट में खोलें.
  3. उसी चैट में MCA के सेव किए गए नंबर पर उस वीडियो या फोटो को भेज दें.
  4. थोड़ी देर बाद आपको MCA की तरफ से जवाब आ जाएगा. इस जवाब में आपको भेजी गई फोटो या वीडियो के बारे में जानकारी मिलेगी. रिपोर्ट में बताया जाएगा कि ये मीडिया फाइल डीपफेक है या नहीं.

MCA का टूल कैसे करता है काम?

MCA का ये टूल एआई तकनीक का इस्तेमाल करके भेजे गए वीडियो और फोटो का विश्लेषण करता है. ये टूल कई तरह के संकेतों को ढूंढता है जो बताते हैं कि ये फोटो या वीडियो असली नहीं बल्कि डीपफेक के जरिए बनाई गई है. उदाहरण के तौर पर, चेहरे पर अस्वाभाविक हिलना डुलना, रोशनी का अजीब प्रभाव या फिर किसी व्यक्ति की आवाज में असंगति जैसे संकेतों को ये टूल ढूंढ सकता है.

हालांकि, ये ध्यान रखना जरूरी है कि अभी तक डीपफेक पहचानने की तकनीक पूरी तरह से परफेक्ट नहीं है. लेकिन MCA का ये टूल मौजूदा समय में व्हाट्सएप पर डीपफेक पहचानने का एक आसान और भरोसेमंद तरीका जरूर है.

खुद भी रहें सतर्क!

MCA के इस टूल के साथ-साथ खुद भी थोड़ी सी सावधानी बरतकर आप काफी हद तक डीपफेक से बच सकते हैं. किसी भी वीडियो या फोटो को फॉरवर्ड करने से पहले थोड़ा रुकें और सोचें. अगर आपको जरा सी भी शंका है कि ये कंटेंट असली नहीं हो सकता है, तो उसे फॉरवर्ड करने से बचें. साथ ही संदिग्ध खबरों की सच्चाई को किसी विश्वसनीय न्यूज़ सोर्स से जांचने की आदत डालें.

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